दुख और अपवाद के कारण और हल

आज के इस दौर में अधिकांश लोग निराश और दुखी जीवन व्यतीत करने में मजबूर है। निराशा और हताशा उनके जीवन का एक हिस्सा बनकर रह गई है। कुछ लोगो को छोड़कर जिसे भी आप देखेंगे वह एक घुट घुट कर जिंदगी जी रहे होंगे। 
और बहुत से व्यक्ति धीरे-धीरे अपने पतन की ओर अग्रसर हो रहे है। उन्हें ये भी पता नहीं आगे क्या करना है। इसका एक मुख्य कारण समय भी है क्योंकि आज लोग अपनी निजी जिंदगी को भूल गए हैं और देखा देखी में लगे हुए हैं। जिसकी वजह से वे उन लोगो के बराबर आने की होड़ में लगे हुए है जो उनसे कोसों दूर है।

चकाचौंध से भरी ये दुनिया

हमारे आजकल की इस चकाचौंध में मनुष्य अपना बहुमूल्य जीवन गवा रहे हैं। उन्हें यह भी नहीं पता की जो भी चीजें वह कर रहे हैं उनसे उनको केवल क्षणिक लाभ ही मिल सकता है परंतु फिर भी वह उसे किए जा रहे है और अपने भविष्य को अंधकार में धकेल रहे है।

हमारे दुख और अवसाद 

आजकल के लोग दुःख और अवसाद से 
गिर चुके है जिसके कारण उन्हें अपनी दैनिक गतिविधियों में रुचि या खुशी नहीं रहती है। यही आगे जाकर बढ़ जाती है और बीमारी का रूप ले लेती है। कभी कभी ये बीमारी लंबे समय तक भी रहती है जिसके कारण वो खुदकुशी जैसे कड़े कदम भी उठा लेते है। जैसा की स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी बताया है कि दुनिया भर में अवसाद सबसे सामान्य बीमारी है। जिससे दुनिया भर में लगभग 350 मिलियन लोग अवसाद से प्रभावित होते हैं।


अवसाद का बीमारी में बदल जाना

अवसाद भी एक प्रकार का मानसिक स्वास्थ्य विकार है जो कि अधिकांश रूप में युवाओं में देखने में मिलता है। इस विकार से व्यक्ति लगातार उदासी में रहता है और नहीं किसी चीज़ में कोई लगाव। जैसा कि उतार-चढ़ाव तो सभी के जीवन में चलता रहत  है परन्तु कब ये बीमारी में बदल जाए इसका हमे लंबे समय बाद चलता है। 

दुख और अवसाद से मुक्ति

अगर हमें दुख से मुक्ति की चाह है तो हमे ऐसा उत्साह जनक स्रोत की तलाश करनी होगी जैसे कि आप आध्यात्मिकता की तरफ जाएंगे तो आपके सभी दुख दूर हो जाएंगे। नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके आप जानें क्यों नहीं हो रहा है हमे लाभ इतने अच्छे काम और भक्ति साधना करने के बाद भी। यह एक जरिया है जिससे आपको मिलेगी अपने दुख और अवसाद से मुक्ति और आपको भी मिल पाएगा एक नई ऊर्जा का स्रोत।


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