भक्ति करने वाले बन गए नास्तिक

आज से लाखो वर्ष पहले भी मनुष्य भक्ति किया करते थे और अपना जीवन उन्हीं संसाधनों में रहकर जीवन व्यतीत करते थे। वह भक्ति करते थे या नहीं इसके अनेखो प्रमाण आपको हमारे इर्ध और गिर्द मिल जाएंगे। जिससे हमारे मन में संशय नहीं रहेगी। समय के साथ धर्म भी बढ़ते चले गए और आज हमारे सामने हजारों धर्म है। बहुत से धर्म पुराने है तो बहुत से नए। इनके से कई लोग अपने अपने धर्म की सदियों पुरानी परम्परा को लेकर चले आ रहे हैं। इससे साफ सभित हो जाता है पहले नास्तिकता का नामुनिशान नहीं था।

धर्म की रक्षा
आज हमारा विश्व अगर किसी चीज से फल फूल रहा है तो वह है हमारा धर्म। धर्म के बचे हुए रहने से ही परमत्मा ने हमारा बचाव कर रखा है। अगर आज पृथ्वी पर धर्म खत्म हो जाता तो यहां का दृश्य बहुत ही दुखदाई और विनाशकारी होता और शायद कोई मनुष्य बच पाता।

नास्तिकता ने किया नाश
जब मनुष्य बहुत आशा लगाकर किसी चीज को पाने में लग जाता है परंतु दुर्भाग्यवश उसे निराशा हाथ लगती है तो वह उस चीज में विश्वास करना छोड़ देता है ठीक इसी प्रकार नास्तिकता का के जन्म को भी समझा जा सकता है।

आस्तिक और नास्तिक में कोन श्रेष्ठ
हमारे बीच में आस्तिक और नास्तिक दोनों ही तरह के लोग है।  परंतु इनमें कौन सही और कौन गलत इसका पता लगाना बड़ा ही पेचीदा हो चुका है। पर इनमें से इतना हम जरूर कह सकते है नास्तिकता तो अस्थाई हल है किसी भी समस्या का। अब बात करते है आस्तिक की तो हमे पहले समझना होगा कोनसी आस्तिकता सही है मतलब यह कि अगर हम भगवान की भक्ति कर रहे हैं तो हमे निम्न चीजे पता होनी चाहिए जैसे
- क्या वह सही भक्ति विधि है? 
- क्या सही भक्ति विधि का कोई प्रमाण है?
- क्या हमे वो प्रमाण मिल सकते है?
- क्या हम भी उस भक्ति साधना को करने मे सक्षम है?

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