क्या मिलेगा हमे सच्ची भक्ति साधना से।

हमारे दुखों का सबसे बढ़ा मूल कारण आध्यात्मिक ज्ञान का  अभाव है। क्युकी इसी कारण से हम परमात्मा के विधान से अपरिचित होकर प्राणी इस दुःखों के घर "संसार" में महान कष्ट झेलता आ रहा है। फिर कई लोग इसी को अपना सुख स्थान मान भी मान रहे है।


उदाहरण से समझे

एक बार की बात है एक व्यक्ति जून के महीने में दिन के 12 या 1 बजे, हरियाणा प्रान्त में शराब पीकर चिलचिलाती धूप में गिर पड़ा। उसका पसीने से बुरा हाल था और शरीर भी रेत से सना हुआ था। जब एक व्यक्ति उसके पास आया और बोला "हे भाई! उठ, तुझे वृक्ष के नीचे बैठा दूँ, तू यहाँ पर गर्मी में जल रहा है।"
तब शराबी ने जवाब दिया और बोला "मैं बिल्कुल ठीक हूँ, मौज हो रही है, मुझे कोई कष्ट नहीं हो रहा।"
इसी तरह और भी उदाहरण जैसे कि
- एक व्यक्ति किसी कारण कोर्ट में गया। वहाँ उसका रिश्तेदार मिला। एक-दूसरे से कुशल-मंगल पूछी, दोनों ने कहा, सब ठीक है, मौज है।
- एक व्यक्ति का इकलौता पुत्रा बहुत रोगी था। उसको पीजीआई अस्पताल में भर्ती करा रखा था। लड़के की बचने की आशा बहुत कम थी। ऐसी स्थिति में माता-पिता की क्या दशा होती है, आसानी से समझी जा सकती है। रिश्तेदार मिलने आए और पूछा कि बच्चे का क्या हाल है? पिता ने बताया कि बचने का भरोसा नहीं, फिर
पूछा और कुशल-मंगल है, पिता ने कहा कि सब मौज है।
अब आप खुद ही विचार करें :- शराब के नशे में घोर धूप के ताप को झेल रहा था। फिर भी कह रहा था कि मौज हो रही है। कोर्ट कचहरियों में जो रिश्तेदार मिले, दोनों ही कह रहे थे कि सब
मौज है। विचार करें जो व्यक्ति कोर्ट के कोल्हू में फँसा है। उसको स्वपन में भी सुख नहीं होता। फिर भी दोनों कह रहे थे कि मौज है अर्थात् आनन्द है। जिस व्यक्ति का इकलौता पुत्रा मृत्यु शैय्या पर हो, उसको मौज कैसी? इसलिए सूक्ष्मवेद में कहा है कि इस दुःखालय संसार में यह प्राणी महाकष्ट को सुख
मान रहा है।


परमात्मा का संदेश मौज कर रहे उन लोगो के लिए

गरीब दास जी ने बताया है
यह संसार समंझदा नाहीं, कहंदा शाम दोपहरे नूं।
गरीब दास यह वक्त जात है, रोवोगे इस पहरे नूँ।।
भावार्थ :- मनुष्य जन्म प्राप्त करके जो व्यक्ति भक्ति नहीं करता, वह कुत्ते, गधे आदि-आदि की योनि में कष्ट उठाता है। कुत्ता रात्रि में आसमान की ओर मुख करके रोता है। इसलिए गरीबदास जी ने
बताया है कि यह मानव शरीर का वक्त एक बार हाथ से निकल गया और भक्ति नहीं की तो इस समय (इस पहरे) को याद करके रोया करोगे।

Comments

Popular posts from this blog

Who is Saint Rampal Ji Maharaj - A brief introduction

Budhism

Suicide is not only the solution