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Showing posts from May, 2020

Hypocrisy Free India

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In Kashi and nearby place, Priests had spread rumour that; one whose death take place in Kashi get liberated and one whose death take place in Maghar  becomes a donkey in next birth. But Kabir Saheb Ji believed that if there is liberation in such a way, then what is the need to chant Rama-naam and meditate throughout life. Therefore Kabir Saheb reached Maghar from Kashi to broke this hypocrisy. Kabir Sahib Ji also said in his speech, "लोका मति के भोरा रे,जो काशी तन तजै कबीरा,तौ रामहि कौन निहोरा रे"

Who is true God?

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Kabir Saheb is the only Complete god who seated in human form in the third Ritdhaam (Satlok) of Purna Brahm, which is different from Brahm Lok and ParBrahm Lok. The fourth lok from Satlok is Anami lok,He is also sitting there himself in visible human-like form as Anami Purush  Lord Kabir Saheb is the only god who came in all the Four Ages for his beloved souls. In Satyug by the name 'Satsukrit';  In Tretayug by name 'Muninder'; In Dwaparyug by the name 'Karunamay',  and In Kalyug, appeared by His real name 'Kavir Dev' (Lord Kabir Saheb).  There are Some of the famous lines of Saint Garibdas Ji are 👇 सतयुग में सतसुकृत कह टेरा, त्रोता नाम मुनिन्द्र मेरा। द्वापर में करूणामय कहलाया, कलियुग में नाम कबीर धराया।। चारों युगों में हम पुकारैं, कूक कहैं हम हेल रे। हीरे मानिक मोती बरसें, ये जग चुगता ढेल रे।  In satyug, when Kabir Saheb came by the name of sat sukrit some fake sant call him by the name 'vaamdev' because he started giving true spiritual knowl

Free Books

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आपदा : सुपर साइक्लोन 'अम्फान' तूफान (Super Cyclone Amphan)

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भारत के पश्चिम बंगाल और आस पास के तटीय क्षेत्र की तरह बड़ी ही तेजी से चला आ रहा है सुपर साइक्लोन अंफान तूफान। पिछले 20 वर्षों में यह सबसे बड़ा तूफान भारत में दस्तक देने वाला है। भारत के इसरो द्वारा निर्मित कई सैटेलाइट्स को पिछले कई सालों में लॉन्च किया गया है जिससे इसरो समय रहते ऐसे कई तूफान की जानकारी मौसम विभाग को पूर्वानुमान लगाकर साझा करती रहती है। जाने कहा कहा तबाही मचा सकता है ये तूफान माना जा रहा है अंफान तूफान भारत और बांग्लादेश के तटीय क्षेत्रों को काफी नुकसान पहुंचा सकता है। जिसमे भारत के पश्चिम बंगाल और उड़ीसा इसके चपेट में आने वाले मुख्य राज्य है। यहां के दोनो राज्यो की सरकार ने समय रहते लोगो को सूचना जारी कर दी है और लोगो को तटीय क्षेत्रों को खाली करने की सलाह भी दी है। ऐसे वक्त में क्या करे आमतौर पर तूफान जैसी आपदा आने पर हमे प्रशासन की बात माननी चाहिए क्योंकि उसी में ही हमारी भलाई भी होती है। हमे हर वह संभव कदम उठाने चाहिए जिससे कि जान-माल को कम से कम हानि हो परंतु फिर भी कई लोग इन चेतावनीयो गंभीरता से नहीं लेते है और अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं। ऐसे वक्त पर हमें सुरक्ष

भक्ति करने वाले बन गए नास्तिक

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आज से लाखो वर्ष पहले भी मनुष्य भक्ति किया करते थे और अपना जीवन उन्हीं संसाधनों में रहकर जीवन व्यतीत करते थे। वह भक्ति करते थे या नहीं इसके अनेखो प्रमाण आपको हमारे इर्ध और गिर्द मिल जाएंगे। जिससे हमारे मन में संशय नहीं रहेगी। समय के साथ धर्म भी बढ़ते चले गए और आज हमारे सामने हजारों धर्म है। बहुत से धर्म पुराने है तो बहुत से नए। इनके से कई लोग अपने अपने धर्म की सदियों पुरानी परम्परा को लेकर चले आ रहे हैं। इससे साफ सभित हो जाता है पहले नास्तिकता का नामुनिशान नहीं था। धर्म की रक्षा आज हमारा विश्व अगर किसी चीज से फल फूल रहा है तो वह है हमारा धर्म। धर्म के बचे हुए रहने से ही परमत्मा ने हमारा बचाव कर रखा है। अगर आज पृथ्वी पर धर्म खत्म हो जाता तो यहां का दृश्य बहुत ही दुखदाई और विनाशकारी होता और शायद कोई मनुष्य बच पाता। नास्तिकता ने किया नाश जब मनुष्य बहुत आशा लगाकर किसी चीज को पाने में लग जाता है परंतु दुर्भाग्यवश उसे निराशा हाथ लगती है तो वह उस चीज में विश्वास करना छोड़ देता है ठीक इसी प्रकार नास्तिकता का के जन्म को भी समझा जा सकता है। आस्तिक और नास्तिक में कोन श्रेष्

दुख और अपवाद के कारण और हल

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आज के इस दौर में अधिकांश लोग निराश और दुखी जीवन व्यतीत करने में मजबूर है। निराशा और हताशा उनके जीवन का एक हिस्सा बनकर रह गई है। कुछ लोगो को छोड़कर जिसे भी आप देखेंगे वह एक घुट घुट कर जिंदगी जी रहे होंगे।  और बहुत से व्यक्ति धीरे-धीरे अपने पतन की ओर अग्रसर हो रहे है। उन्हें ये भी पता नहीं आगे क्या करना है। इसका एक मुख्य कारण समय भी है क्योंकि आज लोग अपनी निजी जिंदगी को भूल गए हैं और देखा देखी में लगे हुए हैं। जिसकी वजह से वे उन लोगो के बराबर आने की होड़ में लगे हुए है जो उनसे कोसों दूर है। चकाचौंध से भरी ये दुनिया हमारे आजकल की इस चकाचौंध में मनुष्य अपना बहुमूल्य जीवन गवा रहे हैं। उन्हें यह भी नहीं पता की जो भी चीजें वह कर रहे हैं उनसे उनको केवल क्षणिक लाभ ही मिल सकता है परंतु फिर भी वह उसे किए जा रहे है और अपने भविष्य को अंधकार में धकेल रहे है। हमारे दुख और अवसाद  आजकल के लोग   दुःख और अवसाद से  गिर चुके है जिसके कारण उन्हें अपनी दैनिक गतिविधियों में रुचि या खुशी नहीं रहती है। यही आगे जाकर बढ़ जाती है और बीमारी का रूप ले लेती है। कभी कभी ये बीमारी लंबे समय तक भी रहती है जिसके कारण

क्या मिलेगा हमे सच्ची भक्ति साधना से।

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हमारे दुखों का सबसे बढ़ा मूल कारण आध्यात्मिक ज्ञान का  अभाव है। क्युकी इसी कारण से हम परमात्मा के विधान से अपरिचित होकर प्राणी इस दुःखों के घर "संसार" में महान कष्ट झेलता आ रहा है। फिर कई लोग इसी को अपना सुख स्थान मान भी मान रहे है। उदाहरण से समझे एक बार की बात है एक व्यक्ति जून के महीने में दिन के 12 या 1 बजे, हरियाणा प्रान्त में शराब पीकर चिलचिलाती धूप में गिर पड़ा। उसका पसीने से बुरा हाल था और शरीर भी रेत से सना हुआ था। जब एक व्यक्ति उसके पास आया और बोला "हे भाई! उठ, तुझे वृक्ष के नीचे बैठा दूँ, तू यहाँ पर गर्मी में जल रहा है।" तब शराबी ने जवाब दिया और बोला "मैं बिल्कुल ठीक हूँ, मौज हो रही है, मुझे कोई कष्ट नहीं हो रहा।" इसी तरह और भी उदाहरण जैसे कि - एक व्यक्ति किसी कारण कोर्ट में गया। वहाँ उसका रिश्तेदार मिला। एक-दूसरे से कुशल-मंगल पूछी, दोनों ने कहा, सब ठीक है, मौज है। - एक व्यक्ति का इकलौता पुत्रा बहुत रोगी था। उसको पीजीआई अस्पताल में भर्ती करा रखा था। लड़के की बचने की आशा बहुत कम थी। ऐसी स्थिति में माता-पिता की क्या दशा होती है, आसानी स

क्या इस दुनिया का अंत हो जाएगा कोरोना वायरस की चपेट में आने से या कोई है जो इससे हमें बचा सके।

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जाने किन-किन लोगो ने बता दिया था इस विनाशकारी समय के बारे मे और साथ ही ये भी बताया कि ऐसे मिलेगा हमे इससे छुटकारा।  आज जो भी दिन हम देख रहे हैं इसकी भविष्यवाणी लगभग 400 साल से भी ज्यादा पहले हो गई थी। इस बारे में भी बताय था कि दुनिया का अंत होने की संभावनाएं बन जाएगी परंतु एक सत्ता उसे जीवित रखने में कामयाब होगी। हम बात कर रहे हैं फ्रांस के प्रसिद्ध भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस की जिन्होंने अपनी भविष्यवाणी में इन सभी चीजों का पहले से ही उल्लेख कर दिया था। और जैसा कि आप देख भी रहे होंगे यह सभी भविष्यवाणी आज सच साबित हो रही है। यही भविष्यवाणी बाबा जयगुरुदेव जी ने अपनी सहकारी पत्रिका में भी वर्णन किया था और उस समय बताया की आज 7 सितंबर 1971 को वह संत पूरे 20 वर्ष का हो चुका है। वह व्यक्ति मानव इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति बनेगा उसे जनता का इतना बडा समर्थन प्राप्त होगा आज तक किसी को नही मिला वह महापुरूष नए सिरे से विधान को बनाएगा और विशव के सभी देशो को लागू होगा उसकी एक भाषा होगी उसका एक झंडा होगा। उस सन्त की अध्यक्षता मे कलयुग में भी सतयुग जैसा माहौल आयेगा।  इसी प्रकार